Thursday, May 14, 2009

याद थी , याद हो और याद रहोगी ये वादा है , यही कोशिश है , यही चाहत है , यही प्यार है मेरे दोस्त

आज लहर है , तूफान है , बादल है , बारिश है , धूप है , छांव है पर तुम नहीं हो । मैं क्यों कहूँ कुछ तुमसे बताओ ना ? जबकि चाहती हो अपना बनाना पर कह नहीं सकती जुबां से अपने । ऐसा नहीं कि जानता नहीं हूँ फिर सुनना चाहता हूँ तुमसे । और तुम हो कि क्यों कहोगी और मैं हूँ कि बिन सुने अनसुना हूँ । तुम्हारी एक परिधि है , एक सीमा है , दीवार है न यही कहती हो जानता हूँ । ये बेबसी पर मुझे तरस क्यों आये भला ? मैं न झुकूंगा और न ही तुम से कहूँगा अपनी बातें महसूस करती हो तो खुद भी समझो न , कितना कुछ बाकी है अभी जानने को शायद कुछ भी नहीं..... खुली किताब में से उड़ते पन्नों की तरह ही तो मैं हूँ तुम्हारे लिए । प्यार को सीमाएं दी है तुमने मुझे दूर रखने के लिए ये पता है तुमको भी , मुझको भी । आखिर खुश नहीं रहती हो पर करती चली आयी हो वही ..... जो हमेशा दर्द देता है । तुमने ये किस्मत समझा है पर मैं क्या समझू बताना कभी , .....शायद कभी न जान पाऊगा क्योंकि अब तो न मिलना होगा कभी ........................वैसे अच्छा है किसी बहाने से ही याद आती रहोगी । दर्द देती रहोगी ।

प्यार को परिभाषित न कर सकता हूँ और न ही जता पाया शायद न कभी बता पाऊगा , तुम आज भी जुदा हो कल भी जुदा रहोगी ही , झूठी कसमें खाने को भले ही कह दो पर मैं तो न कहूगा कुछ करने को , अलविदा कहता हूँ मैं तुमसे खुश हूँ ........ पूरा करो तुम रास्ता ।

जिंदगी का यह रूख मेरे लिये उजाड़ता है शायद तुमको संवारता है , और क्या कहना है कुछ भी नहीं ....... याद थी , याद हो और याद रहोगी ये वादा है , यही कोशिश है , यही चाहत है , यही प्यार है मेरे दोस्त ।

9 comments:

  1. कितना कुछ आपने छुपा रखा है , आपको पढ़कर मजा आगया । बहुत ही गहराई में उतर रहे हैं आप । सुन्दर लेखन के लिए बधाई

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  2. बहुत सुन्दर रूप से आपने बीते हुए लम्हों को शब्दों में उतारा है । पढ़कर अच्छा लगा ये संस्मरण । ऐसे ही लेखते रहें । शुभकामनाएं

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  3. आपके दिल से निकले अल्फाज दोस्तों के दिल तक पहुंच रहे हैं दोस्त।

    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

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  4. नीशू जी , आप गजब का लिखते हैं भई , पहली बार इस ब्लाग पर आया हूँ और आपका दीवाना हो गया हूँ । बहुत ही जबरदस्त लेखन लगा आपका । तहे दिल से शुक्रिया

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  5. nishi ji iss tarah se aap likhte hai ki padhne ka mja dugna ho jata hai .

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  6. प्रेम पर गजब का लिखा है नीशू जी ।

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  7. mja aa gya aap ka ye aalekh padh kar .badhai

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