Friday, September 11, 2009

उछाल दो बातें

उछाल दो बातें उन पर
आज ये कहता है मन
सामने कर दो बयां काला दिल
जिसमें सपने सजाये आज तुमने
कह ना कितना कह ना था ,
यूं सोच न पाता कोई ,
है रूखसत जान अपनी ,
अब भला डरना क्या ?
उछाल दो बातें ....... ,
कर्म ऐसा भी नहीं की
दर्द भरता वो रहे ,
जाने कितना ही जिया है ,
आज मन मारे सही ,
कह दिया है मैं ये बात
उसके सामने ,
हो भला जो हो बुरा ,
कर अभी तू फैसला ,
कर अभी तू फैसला ।

2 comments:

  1. bahut khoob. badhia rachna.

    neeshu, bahut din baad hi sahi tum mere blog par aaye tippni ki , dhanyawaad.

    subah ka bhoola shaam ko aa jaaye , bhoola nahin kahata.

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  2. This comment has been removed by the author.

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